Wednesday, 25 May 2016

ग़ज़ल

माँ की बातें गाँठ बाँध कर लौटा है
कुछ सौगातें गाँठ बाँध कर लौटा है

धूप न सर तक आयेगी अब शह्रों की
चाँदनी रातें गाँठ बाँध कर लौटा है

अबके जीत यक़ीनन समझो है उसकी
पिछली मातें गाँठ बाँध कर लौटा है

मुमकिन है के अब धरती की प्यास बुझे
वो बरसातें गाँठ बाँध कर लौटा है

संगत में अपनों की कुछ पल क्या बैठा
कितनी घातें गाँठ बाँध कर लौटा है

अभी अभी माज़ी से यादों की अनमोल
कुछ बारातें गाँठ बाँध कर लौटा है

- के.पी. अनमोल

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