ज़रा सोचिये क्या से क्या हो गई
महब्बत तुम्हारी नशा हो गई
मेरा जिस्म परवाज़ करता रहा
हवा रूह लेकर हवा हो गई
हवा रूह लेकर हवा हो गई
पता तेरे दर का पता जब चला
तलब ख़ुल्द की लापता हो गई
तलब ख़ुल्द की लापता हो गई
मेरे पैर के आबले देखकर
रुकावट भी खुद रास्ता हो गई
रुकावट भी खुद रास्ता हो गई
अचानक हर इक काम बनने लगा
मेरे हक़ में किसकी दुआ हो गई
मेरे हक़ में किसकी दुआ हो गई
किसी रोज़ अनमोल कह दे ये तू
तेरा दिल चुरा कर ख़ता हो गई
तेरा दिल चुरा कर ख़ता हो गई
- के. पी. अनमोल
ख़ुल्द= जन्नत, आबले= छाले
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