मफ़ऊल फ़ाइलात मफ़ाईल फ़ाइलुन
221 2121 1221 212
जैसे ही फूल शाख़ से गिरकर बिखर गया
सारा चमन उदासियों में डूब मर गया
सारा चमन उदासियों में डूब मर गया
मुझको तो रौशनी की ज़रा भी तलब नहीं
दहलीज़ पर चिराग़ मेरी कौन धर गया
दहलीज़ पर चिराग़ मेरी कौन धर गया
उलझा है तेरे प्यार के धागों में जबसे दिल
तबसे मेरी हयात का पैकर सँवर गया
तबसे मेरी हयात का पैकर सँवर गया
अपशब्द चीखते हैं मोहल्ले में हर तरफ़
जाने ये किसकी आँख का पानी उतर गया
जाने ये किसकी आँख का पानी उतर गया
"घर की हरेक बात हवाओं को सौंप दो"
उफ़! कौन आके कान दीवारों के भर गया
उफ़! कौन आके कान दीवारों के भर गया
ख़ुद को ही देख आईने में सोचता हूँ मैं
मासूम-सा जो शख़्स था इसमें किधर गया
मासूम-सा जो शख़्स था इसमें किधर गया
मैसेज उसका आ ही गया आख़िरश मुझे
अनमोल! कॉल आया नहीं, दिन गुज़र गया
अनमोल! कॉल आया नहीं, दिन गुज़र गया
@ के. पी. अनमोल
Lajawab ghazal Anmol Bhai waah...jiyo
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया दादा
Deleteअनमोल सृजन अनमोल जी
ReplyDeleteशुक्रिया नीलम जी
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